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मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप

अद्भुत द्वीप

श्रीकान्त व्यास

प्रकाशक : शिक्षा भारती प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 5009
आईएसबीएन :9788174830197

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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...

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रात में सोने से पहले मैंने अपने बच्चों और पत्नी को बताया कि कल मैं जहाज से बाकी सामान लेने जाऊंगा। सुनकर पत्नी की आँखों में आँसू आ गए। समुद्री जीवन से उसे अब चिढ़-सी होने लगी थी। फिर भी किसी तरह मैंने उसे धीरज बंधाया और कहा कि खतरे की कोई बात नहीं है।

सुबह हम समुद्री सफर के लिये चल दिये। 'सुरक्षातट' तक मैं अपने तीनों बच्चों को साथ ले गया, लेकिन वहां से अर्नेस्ट और जैक को वापस कर दिया। उन्हें समझा दिया कि हो सकता है, सामान उठाने-रखने में देर हो जाए और मुझे रात वहीं बितानी पड़े, इसलिए वे परेशान न हों। फ्रिट्‌ज को साथ लेकर मैंने अपनी नाव 'दि डिलीवरेंस, (मुक्ति) के पाल खोल दिए। थोड़ी ही देर में हम अपने टूटे हुए जहाज के पास जा पहुंचे। बचे हुए सामान को देखकर पता चला कि नाव से पूरा न पड़ेगा, हमें एक बेड़ा भी बनाना पड़ेगा। फ्रिट्‌ज की भी यही राय थी। हम दोनों बेड़ा बनाने में जुट गए। उस दिन का पूरा समय बेड़ा बनाने में ही लग गया और हमें टूटे हुये जहाज पर समुद्र में ही रहना पड़ा।

सुबह होते ही हम दोनों फिर काम में लग गए। जहाज की सभी जरूरी चीजें हम एक-एक करके बेड़े पर लादते जा रहे थे। हमने टूटे हुए जहाज की खिड़की और दरवाजे तक निकाल लिए। उनके अलावा हमें और भी ऐसी बहुत-सी चीजें मिलीं जिनकी हम वहां उम्मीद तक नहीं करते थे। जैसे एक बक्स में हमें नाशपाती, सेब, संतरा, चेरी आदि तरह-तरह के फलों के पौधे मिले। वे गीली मिट्टी से इतनी सावधानी और होशियारी के साथ पैक किए गए थे कि सूखने या सड़ने न पाएं। उन्हें देखकर फ्रिट्‌ज बेहद खुश हुआ। उसने कहा, ''पापा अब तो हमें फलों की भी सहूलियत हो जाएगी। हम सेब और संतरे भी पैदा कर सकेंगे।'' मैंने हामी भरी और हम दोनों फिर सामान उठाने-धरने में लग गए।

जहाज के अंदर इस तरह की सारी चीजें थीं जिनसे किसी निर्जन जगह में आसानी से जिन्दगी बिताई जा सकती थी। यहां तक कि दो मस्तूलों वाले छोटे जहाज के फुटकर हिस्से भी रखे थे। उन्हें गौर से देखने पर पता चला कि हर हिस्से पर सिलसिले से नंबर पड़े हैं। एक बिलकुल अनजान आदमी भी उन नंबरों की मदद से पूरा जहाज बनाकर तैयार कर सकता था, लेकिन वह काम एक दिन का नहीं, हफ्तों का था। इसलिए उसे मैंने अगली बार के लिए छोड़ दिया और बेड़े को 'दि डिलीवरेंस' के पीछे बांधकर वापस लौट पड़े।

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    अनुक्रम

  1. एक
  2. एक
  3. दो
  4. दो
  5. तीन
  6. तीन
  7. चार
  8. चार
  9. पाँच
  10. पाँच
  11. छह
  12. छह
  13. सात
  14. सात
  15. आठ
  16. आठ
  17. नौ
  18. नौ
  19. दस
  20. दस

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